नवजात शिशु से सम्बंधित शुभ महूर्त Muhurat related New born baby/ नामकरण संस्कार हेतु शुभ महूर्त/ Naamkaran Sanskar Muhurat
जल पूजन
संतान होने के 26वें दिन या एक महीने बाद माता का संतान के साथ जाकर जल पूजन के शुभ महूर्त
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वार | सोमवार, बुधवार एवं गुरूवार |
मास | चैत्र, पौष और क्षय मॉस को छोड़कर सभी मास मान्य हैं |
पक्ष | दोनों |
तिथि | द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, नवमी, दशमी, द्वादशी , चतुर्दशी |
नक्षत्र | मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, श्रवण |
कर्ण वेध | |
वार | सोमवार एवं बुधवार |
मास | क्षय मास, अधिक मास, मल मास त्याग कर जन्म से छठे या सातवें माह में. |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी,सप्तमी, दशमी,द्वादशी |
नक्षत्र | अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, चित्र, अनुराधा, श्रवण, रेवती |
लग्न | वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, धनु |
विशेष | जन्म से 12वें या 16वें दिन भी कर्ण वेध शुभ माना जाता है. बालक का पहले दांया और फिर बांया और कन्या का पहले बांया और फिर दांया कान पूर्व दिशा की और मुख करके स्वर्णकार या सुहागिन स्त्री द्वारा ही छेदना चाहिए |
बालक के मुंडन हेतु शुभ महूर्त | |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरूवार और शुक्रवार शुभ हैं |
मास | चैत्र मास छोड़कर , जन्म से तीसरे, पांचवें, सातवें, या विषम वर्षों में. |
पक्ष | शुक्ल |
तिथि | द्वितीया, तृतीया, पंचमी,सप्तमी एवं विशेष परिसिथियों में नवमी, द्वादशी, चतुर्दशी एवं पूर्णिमा. |
नक्षत्र | अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त,स्वाति, ज्येष्ठा, धनिष्ठा, श्रवण, रेवती |
लग्न | शुभ लग्न |
विशेष | माता के गर्भवती समय और रजस्वला के समय को त्यागना चाहिए. यदि बालक पांच वर्ष से अधिक हो गया हो तो गर्भावस्था में भी मुंडन किया जा सकता है. ज्येष्ठ मास में ज्येष्ठ पुत्र का मुंडन निषेध है. |
नामकरण संस्कार हेतु शुभ महूर्त | |
वार | सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और शुक्रवार शुभ हैं |
मास | सभी |
पक्ष | कृष्ण पक्ष |
तिथि | प्रथमा, द्वितीया, तृतीया, सप्तमी, दशमी, एकादशी, त्रयोदशी |
नक्षत्र | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण,धनिष्ठा और रेवती शुभ लग्न माने गये हैं. |
लग्न | वृषभ, कन्या, तुला |
विशेष | शुभ चन्द्रमा और चार लग्न में नामकरण शुभ माना गया है. अनिष्ट योग, ग्रहण, श्राद्ध, क्षय मास और व्यतिपात में नामकरण नहीं करें. विद्वानों के मतानुसार माता और पिता कुल की तीन पीढीयों में चले आ रहे नाम नहीं रखने चाहिए. |
प्रथम बार अन्न प्राशन हेतु शुभ महूर्त | |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरूवार और शुक्रवार शुभ हैं |
मास | क्षय मास, मल मास, अधिक मास छोड़कर जन्म से छठे, सातवें, आठवें, दसवें और बाहरवें महीने में. |
पक्ष | शुक्ल पक्ष |
तिथियाँ | द्वितीया, तृतीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी, द्वादशी , त्रयोदशी,चतुर्दशी, पूर्णिमा |
नक्षत्र | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ापुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा,श्रवण,धनिष्ठा,शतभिषा, रेवती |
लग्न | वृषभ, मिथुन, कर्क, तुला, धनु, मकर |
विशेष | मध्याह्न पूर्व अन्न प्रशन शुभ मन गया है. क्षय तिथि वर्जित है. |