गृहस्थ जीवन से सम्बंधित शुभ महूर्त
नया वाहन खरीदने या घर लाने हेतु शुभ महूर्त | |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार |
मास | क्षय मास, मल मास, अधिक मास त्यागकर |
पक्षतिथि | कृष्ण पक्ष (1) शुक्ल पक्ष (2,3,5) |
नक्षत्र | अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति,श्रवण, धनिष्ठा, रेवती |
लग्न | वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, धनु, मीन |
नौकरी करने हेतु शुभ महूर्त | |
वार | बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार |
मास | क्षय मास, मल मास, अधिक मास त्यागकर |
पक्षतिथि | कृष्ण पक्ष (1,2,3,5,7,,10,13) एवं शुक्ल पक्ष (2,3,5, 7,10,13,15) |
नक्षत्र | अश्विनी, मृगशिरा, पुष्य, चित्रा, अनुराधा, रेवती |
लग्न | शुभ लग्न/केंद्र त्रिकोण के धनलाभ भाव में शुभ ग्रह/ तीसरे, छठे एवं ग्याहरवें घर में पाप ग्रह शुभ मने जाते हैं |
विवाह उपरान्त प्रथम बार वधु प्रवेश | |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरूवार और शुक्रवार शुभ हैं |
मास | क्षय मास, मल मास तथा चैत्र , श्रवण, भाद्रपद, पौष माघ त्यागकर |
पक्षतिथि | कृष्ण पक्ष (1) एवं शुक्ल पक्ष (2,3,5,6,8, 10,11,13,15) |
नक्षत्र | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ापुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, ज्येष्ठा, श्रवण,धनिष्ठा, रेवती |
लग्न | स्थिर लग्न/ चतुर्थ स्थान पर शुभ गृह की दृष्टि / त्रिकोण में शुभ ग्रह/ तीसरे, छठे एवं ग्याहरवें घर में पाप ग्रह |
विशेष | अशुभ योग व्यतिपात वर्जित है/ चन्द्र बल होना आवश्यक |
वधु द्वारा पहली बार भोजन बनाने का शुभ महूर्त | |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरूवार और शुक्रवार शुभ हैं |
मास | क्षय मास, अधिक मास, मल मास, क्षय, वृद्धि तिथि त्याग कर |
पक्षतिथि | कृष्ण पक्ष (1) एवं शुक्ल पक्ष (2,3,5,6,8,9,12,13,15) |
नक्षत्र | कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, पुष्य, विशाखा, श्रवण, धनिष्ठा, हस्त, अनुराधा, रेवती |
लग्न | शुभ लग्न/ 2,5,8,11 में स्थिर लग्न/ चन्द्र बल शुभ माना गया है |
समझौता अथवा विवाद निबटाने हेतु शुभ महूर्त | |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरूवार और शुक्रवार शुभ हैं |
मास | |
पक्षतिथि | कृष्ण पक्ष (३,5,6,8) एवं शुक्ल पक्ष |
नक्षत्र | पुष्य, मघा, पूर्वा फाल्गुनी, अनुराधा |
लग्न | त्रिकोण में शुभ ग्रह/ तीसरे, छठे एवं ग्याहरवें घर में पाप ग्रह |
सभी प्रकार के शुभ कार्यों हेतु उपयोगी महूर्त | |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरूवार और शुक्रवार शुभ हैं |
मास | क्षय मास, अधिक मास, मल मास त्याग कर |
पक्षतिथि | कृष्ण पक्ष (1) एवं शुक्ल पक्ष (2,3,5,8,9,10,11,12,13,15) |
नक्षत्र | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा,आर्दा, पुनर्वसु, पुष्य, अश्लेशा, उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ापुष्य, श्रवण,धनिष्ठा, शतभिषा और रेवती |
लग्न | शुभ लग्न/त्रिकोण में शुभ ग्रह/ तीसरे, छठे एवं ग्यारहवें घर में पाप ग्रह शुभ माने गये हैं./ क्षय मास, क्षय एवं वृद्धि तिथि/ व्यतिपात एवं भद्र कुयोग का विचार आवश्यक है. बलवान चंद्रमा शुभ माना गया है. |
बंटवारा करने हेतु महूर्त शुभ महूर्त | |
वार | रवि, सोम, बुध, गुरु, शुक्र |
मास | क्षय मास, मल मास, अधिक मास में वर्जित |
पक्ष | शुक्ल पक्ष |
तिथियाँ | द्वितीया, तृतीया, पंचमी,षष्ठी, सप्तमी,दशमी,त्रयोदशी |
नक्षत्र | अश्विनी, रोहिणी,मृगशिर, , उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ा, हस्त, चित्रा, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, रेवती |
लग्न | कुम्भ लग्न को छोड़कर सभी शुभ लग्न |
बाग़ बगीचा लगाने हेतु | |
वार | रविवार, बुधवार, गुरूवार, शुक्रवार |
मास | क्षय मास, मल मास, अधिक मास त्यागकर |
पक्षतिथि | कृष्ण पक्ष (1, 3,5) शुक्ल पक्ष (2,3,5,7,10, 12,15) |
नक्षत्र | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य,उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ापुष्य, हस्त, चित्रा, अनुराधा, शतभिषा, रेवती |
लग्न | शुभ लग्न/ शुभ लग्न अस्त न हों/ केंद्र त्रिकोण में शुभ ग्रह/ चन्द्र बल प्रथम लग्न में, |
विशेष | भूमि सुषुप्तावस्था में न हो तथा भू सदन हास्य एवं रजस्वला नहीं हो |