धार्मिक कार्यों से सम्बंधित शुभ महूर्त
मन्त्र साधना हेतु शुभ महूर्त | |
वार | रविवार, सोमवार और बुधवार |
मास | क्षय मास, अधिक मास, मल मास त्याग कर |
पक्षतिथि | कृष्ण पक्ष (4,6,8,9) एवं शुक्ल पक्ष (11,14) |
नक्षत्र | भरणी, आर्द्रा, मघा, मूल |
लग्न | स्थिर लग्न/ग्रहण/ गुरु पुष्य योग/ दिवाली/ होली/ सक्रांति विशेष शुभ |
धार्मिक कार्यों हेतु शुभ महूर्त | |
वार | सोमवार, बुधवार, गुरूवार और शुक्रवार शुभ हैं |
मास | क्षय मास, अधिक मास, मल मास त्याग कर |
पक्षतिथि | कृष्ण पक्ष (1,2,3,5,7,8,10,11,13) एवं शुक्ल पक्ष (2,3,5, 7,10,11,12,13,15) |
नक्षत्र | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु,पुष्य, उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ापुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण,धनिष्ठा, शतभिषा और रेवती |
लग्न | शुभ लग्न/वृषभ, मिथुन, कर्क, कन्या, तुला, धनु और मीन लग्न शुभ |
देव गुरु प्रतिष्ठा हेतु शुभ महूर्त | |
वार | मंगलवार त्यागकर सभी दिन शुभ |
मास | वैशाख, ज्येष्ठ, माघ, फाल्गुन मास शुभ |
पक्षतिथि | शुक्ल पक्ष (2,3,5,6,7,10,11,12,13,14,15) |
नक्षत्र | अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, पुनर्वसु,पुष्य, उत्तराभाद्रपद, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढ़ापुष्य, हस्त, चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण,धनिष्ठा, और शतभिषा |
लग्न | शुभ एवं स्थिर लग्न/ वृषभ,मिथुन,कन्या, धनु और मीन लग्न भी शुभ माने गये हैं |
विशेष | सोमवार को स्थापित देव गुरु कुशल क्षेम, बुधवार को वरदान, गुरूवार को सुख और शुक्रवार को प्रसन्नता देने वाले अधिष्ठाता हैं. सूर्य उत्तरायण में हो तो देव गुरु की प्रतिष्ठा करना शुभ है. तामसी देवता जैसे भैरव, देवी, योगिनी, हनुमान आदि की प्रतिष्ठा दक्षिणायन सूर्य में या रविवार को भी की जा सकती है. देवगुरु प्रतिष्ठा में अस्त गुरु शुक्र का विचार अनिवार्य है. चन्द्र बल प्रधान है. |